रेत में सने पांव
ये रेत में सने पांव समुद्र की लहरों का बहाव ये बिखरी हुई धूप की चादर यह दूर तक फैला असीम सागर मानो जिंदगी के सफर की सारी थकान मैंने आज दूर कर ली सुनहरी रेत के छोटे-छोटे कण मेरे सपनों को आकार दे रहे हैं ये विशालता और असीमता के पल मुझे अपना दुलार दे रहे हैं ये हवाएं मुझे बहका रही हैं उम्मीदों के नए राग सुना रही हैं ए खुदा इस पल की विशालता को मुझ में उतार दे मैं भीतर तक भीग जाऊं मुझे इतना दुलार दे मुझे इतना दुलार दे 🦋❤️🦋❤️🦋❤️