बेमिसाल

 जब बोलते बहुत थे तो कोई सुनता नहीं था 

जब से ओढ़ी है खामोशी यारों भीड़  बहुत है 

जब से महसूस किया तुझको अलग मस्ती छाई है

मेरे जीवन में तेरे प्मार की ये रोशनाई है


यह कलम भी तुम्हारी है

यह शब्द भी तुम्हारे हैं 

तुम ने ही सिखाया है

हम तो तेरे सहारे हैं

मेरी रग-रग में मेरे कण कण में  तूं ही समाया है 

इसमें है मौज बड़ी जिस भी  रस्ते पर चलाया है

ना कुछ पाना ना कुछ खोना ना कोई खुदगर्जी सी है

अलग आलम अलग दस्तूर और अपनी मर्जी सी है

तेरी रौनक का मेरे चेहरे पर वो नूर छाया है

अब तो रहते हैं बेपरवाह से सब तुमने सिखाया है

तेरी रहमत तेरी कृपा तेरी चाहत की मस्ती है

मेरी सांसो में मेरी रग-रग में तेरी ही हस्ती है

मेरे ईश्वर मेरे सर पर रखना हाथ तुम अपना

मुझे अपनी नजर में और मेरी औकात में रखना




Comments

  1. Monikaji, heartiest congratulations on joining the community of bloggers and sharing your creativity. Bader aayad durust aayad..bahut achha likhte ho aap, kamaal. Sanjha karna Banta hai. Look forward to your next post!

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    1. Thanks Maam
      आप की हिदायतें ,आपकी फिक्र और आपका हौंसला बहुत काम आएगा।

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