पहले ज़माने की मां
थकती मां भी है यह अलग बात है कि वो जताती नहीं है थकती मां भी है यह अलग बात है कि वो बताती नहीं है भैया आज खाना आप और मैं बना लें तो ? पापा आज कपड़े दीदी और आप सुखा लें तो ? बस वह खामोश रहती है कुछ भी तो कह पाती नहीं है थकती मां भी है यह अलग बात है कि वो जताती नहीं है थकती मां भी है यह अलग बात है कि वो बताती नहीं है फ्रिज की बोतलें इतनी जल्दी खाली हो जाती हैं सिंक में बर्तनों की संख्या तो बढ़ती ही जाती है बाथरूम फ्लश प्लांट्स अलमीरा उफ्फ कितना काम है इस कमर के दर्द को भी आता नहीं आराम है अरे आटा बना रही हूं क्या कोई कूड़ा बाहर फेंक आएगा ? सब अपने कामों में मस्त हैं वैसे भी ठंड में कौन बाहर जाएगा ? पर मां को तो खामोशी के अलावा कोई भी भाषा आती नहीं है कलह क्लेश की आवाजें उसे भाती नहीं है थकती मां भी है यह अलग बात है कि वो जताती नहीं है थकती मां भी है यह अलग बात है कि वो बताती नहीं है ये दूध में भी कितनी तेजी से उबाल आता है पल भर में सारा दूध फर्श तक बिखर जाता है अरे यह पंखे लाइट कौन खुले छोड़ जाता है ? इसी जद्दोजहद में उसका जीवन निकल जाता है दोस्तों इक मां क
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